लोकसभा में आज 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल में प्रावधान है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री लगातार 30 दिन जेल में रहता है तो उसकी कुर्सी अपने आप चली जाएगी। सतह पर यह कानून “भ्रष्टाचार विरोधी” लगता है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला बताया है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राजद, और आप समेत विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र सरकार अब एजेंसियों का दुरुपयोग करके चुनी हुई राज्य सरकारों को गिराने की तैयारी कर रही है। उनका आरोप है कि किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर 30 दिन तक जेल में रखकर उसकी सरकार गिराई जा सकती है। विपक्ष ने इसे जनादेश की चोरी बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह का कानून लागू होने पर केंद्र और राज्य के बीच शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा। अदालत में दोष सिद्ध होने से पहले ही केवल गिरफ़्तारी के आधार पर पद खोना, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे संविधान के संघीय ढांचे पर गहरा असर पड़ेगा और भारत का लोकतंत्र कमजोर होगा।
विपक्षी सांसदों ने मांग की है कि मंत्री या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रावधान केवल तभी हो जब अदालत में गंभीर अपराध जैसे हत्या, बलात्कार, बड़े घोटाले सिद्ध हो चुके हों। सिर्फ़ एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी के आधार पर सरकार गिराना तानाशाही की ओर कदम माना जा रहा है।
नया बिल